बवासीर के लिए कौन-कौन से घरेलू उपाय सबसे प्रभावी हैं?
मलत्याग करते समय तनाव न लें : मल त्याग के दौरान जोर लगाने से गुदा और मलाशय में नसों पर दबाव पड़ सकता है। इससे बवासीर हो सकता है।
क्या आयुर्वेदिक उपचार बवासीर का स्थायी इलाज कर सकता है?
कुछ शोध शौचालय पर बिताए गए समय और रक्तस्रावी बीमारी के बीच सीधा संबंध बताते हैं, हालांकि सेल फोन के उपयोग के साथ सटीक कारण और प्रभाव संबंध निर्धारित नहीं किया गया है।
पाइल्स के लिए लेजर उपचार पारंपरिक सर्जरी की तुलना में निम्नलिखित लाभ प्रदान करता है:
पुराना कब्ज: मल त्यागने में कठिनाई के कारण बवासीर का विकास हो सकता है।
आयु ४५-६५ वर्ष के बीच (सभी आयु समूहों में हो सकती है, हालांकि, इस अवधि के दौरान यह अधिक आम है)
अधिक तला एवं मिर्च-मसाले युक्त भोजन करना।
विस्तृत रोगी इतिहास : इसमें लक्षणों की सीमा, गंभीरता और अवधि, मल त्याग की आवृत्ति, संबंधित लक्षण (जैसे, कब्ज, मल असंयम), दैनिक आहार की आदतें, और मल त्याग का विवरण (जैसे, प्रत्येक मल त्याग और उसके दौरान बिताया गया समय) शामिल होना चाहिए।
हल्दी में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो की सूजन को कम करते हैं।
इन लक्षणों को बिल्कुल भी नजरंदाज ना करें। जल्द से जल्द डॉक्टर के पास जाकर पाइल्स का इलाज कराएं।
हेम कंट्रोल कैप्सूल: इसे क्रीम, ऑइंटमेंट या अन्य उपचारों के विकल्प के रूप में उपयोग किया जाता है।
दस्त: बार-बार और लगातार दस्त की शिकायत होने पर बवासीर हो सकता है।
कब्ज भी बवासीर का एक प्रमुख कारण है। कब्ज में मल सूखा एवं कठोर होता है, जिसकी वजह से व्यक्ति को मलत्याग करने में कठिनाई होती है। काफी देर तक उकड़ू बैठे रहना पड़ता है। इस कारण से वहां की रक्तवाहिनियों पर जोर पड़ता है, और वह फूलकर लटक get more info जाती है, जिन्हें मस्सा कहा जाता है।